कागद राजस्थानी

बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

पईसा लपेड़ रै लागै

.

दिल्ली में संसद रै सारै
धोळै दोपारै
सांच बोलतो
म्हारै गांव आळो
नत्थू पकड़ीजग्यो
पछै तो
पुलिस आळां उण री
बा रेल बणाई
कै मत ना पूछो
बीस एक डांग फींच में
गुद्दी में धोळ पर धोळ
लाफ्फै में रैपटा !

रैपटा पड़ता देख

नत्थू बोल्यो
लपेड़ तो ना मारो सा
पुलिस आळो आ सुण
ताचक'र पड़्यो ,बोल्यो-
साला राजस्थानी है
इसकी अंटी खोलो
अंटी में माल मिलेगा
नत्थू बोल्यों
इयां ना करो
पईसा पेड़ रै लागै कांईं
नत्थियै रै इत्तो कैंवतां ई
सिपला लागग्या तड़ातड़
धैं लपेड़-धैं लपेड़ !

आखतै होय

नत्थू अंटी खोल दी
पईसा देय पिंड छुडायो
उण रै बाद सूं आज तांईं
नत्थू बगनै दाईं बरड़ावै
पईसा पेड़ रै नीं
लपेड़ रै लागै !

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