कागद राजस्थानी

बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

ठाह ई नीं पड़ी


पाणीं तो
हरमेस ई भरती
गिलास सूं सरु होय
घड़ै तांईं पूगी
मा री पकड़ आंगळी ।

घड़ो ऊंचता-ऊंचांवतां
कूवै री पाळ
ना बो बोल्यो
ना म्हैं बतळायो
ठाह ई नीं पड़ी
कद मांखर
उतरगी प्रीत काळजै
आंख्यां गेलै
अब अंतस ऊकळै
आंख्यां भरीजै पाणीं
घर रै पाणीं
थाम दिया पग !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...