कागद राजस्थानी

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

दूहा

दूहा
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कुचरणीं तो भायलां ,करसी दो-दो हात ।
खोद कुचरगै काढसी ,साची-सांची बात ।।
आधा बंचग्या आपां ,     आधी रैगी रात ।
बात बात में बातड़ी ,कर न्हाखी परभात ।।


गांधी थांरै देस में, पख-विपख है ऐक ।
दोनूं चावै लूटणों , रामज राखै टेक ।।

*नोरतां खातर-
नोरता बैठ्या धोकस्यां, नो बरतां रै ताण ।
बाकी दिनड़ा तोड़स्या, पेट भूखड़ी ताण ।।

*नोम्यूं माथै-
रावण पाछो आयग्यो, आयो नीं हड़मान ।
राम रुखाळो देसड़ो,     चाकर बेईमान ।।

*दसरावै माथै-
रावण बाळां बापजी, आपां सालो साल ।
भीतर बैठ्यो ना बळै, है नीं बात कमाल ।।

*कांणी दियाळी माथै-
सेठां धनड़ो कमाल्यो, राख ताकड़ी काण ।
लिछमी आई कांणती, भरसी थांरा ठाण ।

* दियाळी माथै-
दीया बाळो तेल रा, मनड़ो राखो साफ ।
कूड़ कमाई छोड द्‌यो, लिछमा करसी माफ ।।

*गोरधन माथै-
गोरधन कथै आप नै , रख गरीब री टेक ।
गोबर पूजो बापजी,काम बतायो नेक ।।

* भैया दूज माथै-
मा जाई है आपरी , मा जाया हो आप ।
यादां राखो साम्भगै , बैनां भाई धाप ।।

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