कागद राजस्थानी

रविवार, 28 अक्टूबर 2012

[][] जनम दिन रा पांच डांखळा [][]

ऐक ई दिन जाम्या दोनूं हिटलर अर ओमियों ।
कटगी रांद हिटलर री,ईं रै होवै नी निमोनियों ।
                   सगळा देवै बधायां
                   भाई होवै या बायां
ओ तो जीवंतो ई बणग्यो फ़ेसबुक रो भोमियों ॥
[२]
म्हैं बोल्यो,  मैडम जनम दिन है म्हारो आज ।
मैडम बोली तो के बिड़लो जाम्यो है महाराज ।
           झांझरकै ई    क्यूं करो झोड़
           घणां ई जामै इस्सा भम्पोड़
थे जामग्या तो     काईं गधै नै होयगी खाज ॥
[३]
टाबर बोल्या   पापा रो बरथ डे है काटो केक ।
बज़ार सूं ल्यावां अभी रिपिया देवो हज़ार ऐक ॥
                     मैडम बोली झट
                      चुप्प गूंगी लट
हज़ार में तो इसा पापलिया आवै नूआं -अनेक ॥
[४]
 म्हैं बोल्यो मैडम आज थोडो़ काम धंधो रोक ।
चाल पै’ली गंठजोडै़ सूं लगावां बाबैजी रै धोक ।
                  जनम दिन है ऐ म्हारो
                   आज्या के बिगडै़ थारो
बा बोली,आज तो लारो छोड अणखांवणीं जौंक ॥
[५]
थारी उमर होगी     साठ में कम पांच ।
आज भी केक खातर चालै थारी चांच ।
           निकळग्यो थारो टैम
           जुवानी रो राखो बैम
केक छोडो अर डागधर सूं कराओ जांच ॥

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