कागद राजस्थानी

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

बिरखा

बिरखा अबकै ओसरी, धर हेमाणी भेख ।
जेठै धान निपजसी, इण मेँ मीन न मेख ।।
बड़भागी है मुरधरा, बादळ करिया कोड ।
हरियल गाभा धारसी, काळ भूंडिया छोड ।।

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