कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

*कुचरणीं*

गळी में आई जान
घोड़ी ही जुवान
पैली बार ऊपर
चढायो बींदराजा
बाजै हा बैंडबाजा
बाजा सुण
घोड़ी चमकगी
मारगी छलांग
पड़ग्या बींदराजा
टूटगी टांग
खुलगी लांग
बीनणी बोली होय राजी
देखो अर सुणों पिताजी
अब मिलसी
आं नै नोकरी
बींद होग्यो विकलांग !

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