कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

भोर रा हाइकुड़ा

आयो सूरज 
तारा भाज्या डरता
होयगी भोर !
*
चीड़ी बोली चीं
सूरज खोली आंख
भाख फाटगी !
*
गळी में हाको
डबल रोटी ताजा
दिन ऊगग्यो !
*
मा जद बोली
चा पील्यो रै टाबरो
खोलदी आंख !
*
बांटै री हांडी
मा टेकी बठ्ठळ में
सूरज देख्यो !

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