कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

*सुण म्हारी मावड़ी*

जूण जीवण सारू
आपां नै
माता मावड़ी दिया
दिन हजारूं हजार
अर आप मनावां
उण रो दिन
साल में एक बार
है नीं धिक्कार !

सुण मावड़ी म्हारी
म्हारी जूण रा
सगळा दिन थांरा
थूं ई तो दियो
सांस लेवण रो
जग में अधिकार
थंन्नै निवण है
घड़ी-घड़ी बारम्बार
!

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