कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

*हांसल्यो*


भायलो भायलै सूं बोल्यो
म्हारी गळी में
नित एक छोरी आवै
म्हैं लव लेटर लिख-लिख
रोज गळी में न्हाखूं
बा उठावै तो है
पण उथळो नीं देवै !

भायलो बोल्यो
थूं फालतू उथळै नै उडीकै
बा छोरी
पढ़ण आळी कोनीं
कूटळो चुगण आळी है !

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