कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

दूहा,

आभै गाजी बादळी, मुरधर नाच्या मोर ।
जीया जूण खिलखिली,देख घटा घनघोर ।1।
आभै चमकी बीजळी, मनड़ै जाग्यो मोह ।
बादळ राजा बरससी, मिटसी पिया बिछोह ।2।
छमछम बरसै बादळी, धम धम नाचै मोर । 
धरती माथै रूंखड़ा, घालै घूमर जोर ।3।
बादळ ऐड़ा ओसरया, मुरधर करियो वास ।
धरती आली सांतरी, करसां पूरी आस ।4।
डेडर जीभां खोल दी, भरिया देख तळाब ।
कोयल वाणी सांचरी, मुरधर उमड़ी आब ।5।

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