कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014
काळी जरड़ी जाजम
सोनळिया धोरां
पसरी है सड़क
किणीं कुमाणस
बिछाय दी जाणैं
मखमल माथै
मिनख भखणीं
काळी जरड़ी जाजम
जिकी लागै
बेकळा नै आणखावणीं
आवै बेकळा
उड-उड घड़ी-घड़ी
इण नै ढकण सारू !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें