कागद राजस्थानी

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

ओळ सबदां री

सबद भरसी साख
थूं म्हैं नीं
खूटती जगती नै
पग पग अरथावण !

आज होसी काल
काल होसी आज
आज आपां
काल कुण
अणबोल्या सबद
भंवसी जगती में
बिन्यां बाकां
उंचायां निसार रो सार
खूटती-जगती रो !

आज सुरजी पळपळावै
मारै चौगड़दै पळका
बगै आज बायरो
च्यारूं कूंट
भीतर बाअंडै
काल रो पण कांईं ठाह
भरै कै नीं भरै
साख काल री !

उण बगत होवैला
बिम्ब पड़बिम्ब अदीठ
हेला झाला
मनवार हथाई
री साख अणसाख !

स्यात प्रीत ई बंचसी
जकी अंवेरसी
सबदां नै बीजमान
जिण रा बी'रा
काढसी पानका
पाछा पसारण
सबदां री जाजम !

आव साम्भां
प्रीत रा बीज
ओळ सबदां री !

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