एक जणों शिक्षक दिवस आळै दिन न्हा-धो'र आपरै काकै रै पगां लागतो । किणीं पूछ्यो, " बावळा , थूं इयां कियां करै ? आज रै दिन तो गुरुंआं रै पगां लागणों चाईजै , काकै रै पगां क्यूं लागै ?"
बो बोल्यो म्हानै तो गुरु जी सिखायो हो कै "गुरु गोविन्द दोऊं खड़े , काके लागूं पांय । अर अरथ भी ओ ई बतायो हो कै काकै रै पगां लागणों चाईजै !"
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बो बोल्यो म्हानै तो गुरु जी सिखायो हो कै "गुरु गोविन्द दोऊं खड़े , काके लागूं पांय । अर अरथ भी ओ ई बतायो हो कै काकै रै पगां लागणों चाईजै !"
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