कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

कुचरणीँ

-फेसबुक-
अदबदी कामणगारी
थोबड़ा पोथी
जकी मेँ बातां
निग्गर थोड़ी
पण ज्यादा थोथी !
-ब्लाग-
ईं सदी रो
स्सै सूं मोटो रोग !
-ई-मेल-
ऐक और
फीमेल
जकी
बणा राख्या है
लोगां नै रेल !
पै'लो सुख -
पै'लो सुख
निरोगी काया
इण बात माथै
ऐक जाम और भाया !

- रिस्ता -
अंगरेज देग्या
दो सबद
अंकल अर अंटी
जकां बजा दी
सगळै रिस्तां री घंटी ।
- सीटी -
सीटी सूं
लुगाई झट पट जावै
आ बात
आज समझ आवै
जद रसोई मेँ जोड़ायत
कूकर आगै थम जावै !

- ग़ज़ल -

प्रेमी रै मुंडै सूं
सुण'र ग़ज़ल
प्रेमिका होगी पज़ल
सोचण लागी
ओ मरज्याणोँ तो
आभै मेँ जासी
म्हां सारु
चांद तारा ल्यावण नै
फेर तो
कई बरस लागसी
पाछो आवण मेँ
कांईँ सार है
ओ रिस्तो निभावण मेँ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...