कागद राजस्थानी

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

कुचरणीं

लुगाई डागधर सूं बोली
म्हारो धणीं नींद में बोलै
इण री नाड़ देख
कोई दुवाई देवो
उण री नाड़ देख'र
डागधर बोल्यो
गम रा कीं घूंट
थे भी पीया करो
इण बापड़ै नै
दिन में जागतै नै
बोलण दिया करो !

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