कागद राजस्थानी

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

*सावण जावै हाथ सूं*

सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।
आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस ।
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।
सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।
हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।
फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।

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