कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

* पंचलड़ी *

आया जिका पूछण हाल भाईड़ा ।
बै ई तो सूंतग्या खाल भाईड़ा ।।


भेळा बैठ जीम्या आथण दिनूगै । 
धूड़ थाळ में गया घाल भाईड़ा ।।
पेटां पड़्यो काढलै रोटी-पाणीं ।
भूंडी घणीं चालै चाल भाईड़ा ।।
करां खोरसो टसकां टंक टाळता ।
बै अरोगै फुरवां माल भाईड़ा ।।
जे चावै डोळ बदळणों खुद रो थूं ।
जाय आं रा झींटा झाल भाईड़ा ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...