कागद राजस्थानी

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

*कुचरणीं*

ब्यांव रै मौकै
छोरी रै घर माथै
रंग बिरंगी लड़यां लगा
मोटा मोटा लोटिया चसा
बेजां च्यानणों कर्‌यो
छोरै छोरी नै कैयो
देख थांरै घर माथै
म्हांरै सनमान में
थांरै घरआळां डरतां
कित्तो च्यानणों कर्‌यो है
तो छोरी बोली-
म्हांरै घरआळां तो
एक ई दिन
च्यानणों कर्‌यो है
थोडा थम जाओ
म्हैं थांरैं घरां पूग'र
बिन्यां लोटिया चसायां
इस्सो च्यानणों कर देस्यूं
कै थे उमर भर याद करस्यो !

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